पूज्यपाद जगद्गुरु श्री वसंत विजयानंद गिरि जी महाराज के पावन सानिध्य में...

Jagadguru Shri Vasant Vijayanand Giri Ji Maharaj

Jagadguru Shri Vasant Vijayanand Giri Ji Maharaj

विश्व स्तरीय 52 सौ किलो वजनीय अष्टधातु के रत्नेश्वर गणपतिजी का हुआ प्रवेश 

व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा साधन देवाधिदेव शिव अथवा शिव परिवार मंदिर : जगद्गुरु वसंत विजयानंद गिरीजी महाराज 

उज्जैन। Jagadguru Shri Vasant Vijayanand Giri Ji Maharaj: बाबा श्री महाकाल की नगरी उज्जैन में बुधवार को बुध होरा के विशेष मुहूर्त में यहां विश्व स्तरीय अष्टधातु से निर्मित करीब 52 सौ किलो वजनीय रत्नेश्वर गणपतिजी की प्रतिमा का भव्यता के साथ ऐतिहासिक प्रवेश हुआ। अवंतिका नगरी के उजड़ खेड़ा हनुमान मंदिर मार्ग पर भूखी माता मंदिर के समीप विश्व इतिहास में अलौकिक रुप से निर्माणाधीन श्री रत्नेश्वर महादेव मंदिर परिसर में यह कार्यक्रम परमहंस परिव्राजकाचार्य अनन्त श्री विभूषित कृष्णगिरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु 1008 परम पूज्यपाद श्री वसन्त विजयानन्द गिरी जी महाराज के पावन सानिध्य में हुआ। इस दौरान उज्जैन, इंदौर, छिंदवाड़ा, देवास, नीमच, सागर, धार सहित मध्य प्रदेश के अनेक शहर गांवों, राजस्थान, यूपी, कर्नाटक, तमिलनाडु इत्यादि राज्यों से बड़ी संख्या में गुरुभक्त मौजूद रहे। विधि विधान से हुए इस कार्यक्रम में श्री महाकाल मंदिर के पुजारी डॉ दिनेश गुरुजी की भी उपस्थिति रही। इस अवसर पर अपने आशीर्वचनों में पूज्यपाद जगद्गुरु ने कहा कि इस ब्रह्मांड में व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा साधन देवाधिदेव शिव अथवा शिव परिवार मंदिर ही है। उन्होंने कहा कि प्रभु के प्रति संदेह हमेशा दुखदाई होगा जबकि विश्वास सदैव सुखदाई रहेगा। वे बोले कि संसार में सावधानी और प्रभु में विश्वास आवश्यक है। अपने इष्ट के प्रति पूर्ण श्रद्धा रखने की प्रेरणादाई सीख देते हुए पूज्यपाद जगद्गुरु श्री वसंत विजयानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि दुख का कारण ही इधर-उधर भटकना है। उन्होंने कहा कि किसी भी मंदिर में विराजित गणेशजी के तो लाखों करोड़ों लोग दर्शन लाभ पाते हैं, मगर मंदिर में प्रवेश होते हुए गणेशजी की प्रतिमा का दर्शन सौभाग्यशाली लोगों को होता है, ऐसे सौभाग्य शाली भक्तों की अपमृत्यु टल जाती है एवं उनका मंगल ही मंगल होता है। भक्त वत्सल भगवान, वचन सिद्ध गुरुदेवश्रीजी ने यह भी कहा कि मंदिर निर्माण के लिए व्यक्ति की संपत्ति नहीं सच्चे भाव की जरूरत होती है। इस दौरान उन्होंने बताया कि सिंहस्थ 2028 में संपूर्ण मंदिर की ऐतिहासिक प्रतिष्ठापना होगी। यहां विश्वस्तरीय 15 फीट का शिवलिंग, 15–15 फीट के शिवजी व पार्वतीजी की प्रतिमा, 32 सौ किलो वजनीय 9 फिट के ही कार्तिक भगवान की मूर्ति व करीब 42 फीट की नंदी महाराज की प्रतिमा स्थापित होगी। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण पूज्य पाद जगद्गुरु के अधिकृत यूट्यूब चैनल थॉट योगा पर लाइव प्रसारित किया गया। डॉ दिनेश गुरुजी ने पूज्यपाद जगद्गुरु का बाबा महाकाल की ओर से सम्मान किया व स्वयं वंदनीय आशीर्वाद लिया। इस मौके पर उपस्थित बड़ी संख्या में समस्त श्रद्धालुओं ने उत्तम भोजन प्रसाद भी ग्रहण किया।